मुंबई : लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज ने भारत में सिकल सेल टेस्ट में बड़ा बदलाव लाने के लिए प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टीट्युट ऑफ टेक्नोलॉजी बॉम्बे (आईआईटी-बी) के साथ साझेदारी की है. लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज विभिन्न सेक्टर्स में काम करने वाला प्रमुख कारोबारी समूह है. देश का पहला एआई-इनेबल्ड पीओएस उपकरण सिकल सेल टेस्ट से जुड़ी चुनौतियों को दूर करता है और 100 फीसदी सटीक परिणाम के साथ इसे अधिक सुगम एवं सुविधाजनक बनाता है. इस उपकरण का पेटेंट आईआईटी बॉम्बे के पास है. मुंबई के होटल में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका ऐलान किया गया. लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज टेक्नोलॉजी पर आधारित इस पीओएस उपकरण के विकास और वितरण पर 25 करोड़ रुपये का निवेश करेगी. कंपनी ने 2026-27 तक इस उपकरण से 100 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल करने का लक्ष्य तय किया है.
लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज वसई स्थित आईवीडी मैन्यूफैक्चरिंग फैसिलिटी में सिकल सेल पीओएस इंस्ट्रुमेंट के निर्माण के लिए अपनी इन-हाउस आर एंड डी टीम का इस्तेमाल करेगी. इस उपकरण को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों, पैथोलॉजी लैब और देशभर में लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज के पैथोलॉजी लैब में उपलब्ध कराया जाएगा.
इस साझेदारी को लेकर लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज के संस्थापक सचिदानंद उपाध्याय ने कहा, "आईआईटी-बी के साथ इस साझेदारी के जरिए लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज भारत और खासकर ग्रामीण इलाकों में सिकल सेल टेस्ट के नवोन्मेषी एवं प्रभावी समाधान उपलब्ध कराने को लेकर प्रतिबद्ध है. हम सिकल सेल टेस्ट एवं अन्य स्वास्थ सेवाओं को और आसान और सुलभ बनाने के लिए देशभर में 1,000 पैथोलॉजी लैब्स की स्थापना पर निवेश करेंगे. इसके लिए हम 50 करोड़ रुपये का शुरुआती निवेश करेंगे. केंद्र सरकार के सपोर्ट के साथ हमारा लक्ष्य सभी सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों और अस्पतालों में उपकरण एवं टेस्टिंग को उपलब्ध कराना है.”
जानी-मानी प्रोफेसर देबजानी पॉल और आईआईटी-बी की बायोसाइंसेज एवं बायोइंजीनियरिंग विभाग की उनकी टीम द्वारा विकसित माइक्रोस्कोपी आधारित टेस्ट के जरिए हेल्दी, सिकल ट्रेट और सिकल अनीमिया ब्लड सैंपल के बीच के अंतर का पता लगाया जा सकता है. आईआईटी-बी और लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज के बीच साझेदारी का मकसद भारत में सिकल सेल टेस्टिंग में क्रांतिकारी बदलाव लाना, बीमारी का ज्यादा प्रभावी तरीके से पता लगाना और प्राथमिक उपचार के स्तर पर मरीजों को मैनेज करना है. इससे लागत में कमी लाने और प्रभावित आबादी को सुविधा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी. यह अकेला माइक्रोस्कोपी परीक्षण है, जो महज 30 मिनट में कैरियर्स और वैसे लोगों में अंतर कर सकता है, जिन्हें सिकल एनीमिया है. आमतौर पर कैरियर्स की पहचान करने में 24 से 48 घंटे लग जाते हैं.
आईआईटी-बॉम्बे की रिसर्चर डॉक्टर ओशिन शर्मा ने कहा, “हमारी लाइसेंस्ड एआई-इनेबल्ड सिकल टेस्टिंग टेक्नोलॉजी को पेश करने के लिए लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज के साथ साझेदारी को लेकर हम काफी उत्साहित हैं. प्रभावित इलाकों में सिकल सेल स्क्रीनिंग चैलेंज से निपटने में हमारी टेक्नोलॉजी गेम-चेंजर साबित हो सकती है. हमारा मानना है कि हमारी टेक्नोलॉजी और लॉर्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज की क्षमताएं देश में सिकल सेल अनीमिया से पीड़ित करोड़ों मरीजों के जीवन को बेहतर बनाने में उल्लेखनीय असर डालने में सक्षम होगी.”
भारत सरकार ने गुजरात, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, ओडिशा, बंगाल, तमिलनाडु, केरल और तेलंगाना जैसे मध्य एवं दक्षिणी क्षेत्रों में सिकल सेल अनीमिया का पता लगाने एवं उसके उपचार में सुधार के लिए कदम उठाए हैं. सरकार द्वारा उठाए गए कदमों में नवजात बच्चों की स्क्रीनिंग, राष्ट्रीय उन्मूलन अभियान, क्लीनिकल ट्रायल और शादी से पहले काउंसलिंग से जुड़े प्रोटोकॉल शामिल हैं. जनजातीय मामलों के मंत्रालय ने इस संबंध में एडवाइजरी जारी किया है. वहीं, स्क्रीनिंग के साथ-साथ इस बीमारी से निपटने के लिए अनुदान की मांग करने वाले राज्यों के लिए 60 करोड़ रुपये रिलीज किए गए हैं.
इन प्रयासों के साथ-साथ लार्ड्स मार्क इंडस्ट्रीज और आईआईटी बॉम्बे के बीच की साझेदारी भारत में सिकल सेल बीमारी से मुकाबला करने की दिशा में उठाया गया अहम कदम है. इस साझेदारी का मकसद स्क्रीनिंग और डायग्नोसिस प्रोसेस में सुधार करना और इसे मरीजों के लिए अधिक सुगम और सुविधाजनक बनाना है. इससे जल्दी हस्तक्षेप को बढ़ावा मिलेगा और बीमारी के प्रबंधन में सुधार होगा. इससे इस बीमारी के उन्मूलन में भारत सरकार के प्रयासों को बल मिलेगा.