एमपीयूएटीः छठवीं पंचवर्षीय समीक्षा दल बैठक का उद्घाटन

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के सभागार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की अनुसंधान परियोजनाओं की पश्चिमी क्षेत्र की तीन दिवसीय समीक्षा दल बैठक का शुभारम्भ हुआ।

एमपीयूएटीः छठवीं पंचवर्षीय समीक्षा दल बैठक का उद्घाटन
एमपीयूएटीः छठवीं पंचवर्षीय समीक्षा दल बैठक का उद्घाटन


उदयपुर 20 अगस्त, 2024। महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अनुसंधान निदेशालय के सभागार में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की अनुसंधान परियोजनाओं की पश्चिमी क्षेत्र की तीन दिवसीय समीक्षा दल बैठक का शुभारम्भ हुआ। इस बैठक में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् की पांच परियोजनाओं जिनमें दीर्घ कालीन उर्वरक अनुसंधान परियोजना, मृदा जैव विविधता एवं जैव उर्वरक नेटवर्क परियोजना, मृदा परीक्षण फसल प्रतिक्रिया, मृदा और पौधों में सूक्ष्म गौण और प्रदूषक तत्व तथा संरक्षित खेती परियोजनाओं की पांच वर्षीय कार्यों की समीक्षा की जायेगी। जिसमें देश के 10 विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् के केन्द्र के वैज्ञानिक अपने कार्यो की प्रगति की समीक्षा हेतु प्रतिवेदन प्रस्तुत करेंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डाॅ. अजीत कुमार कर्नाटक, कुलपति, मप्रकृप्रौविवि, उदयपुर ने कहा कि पंचवर्षीय समीक्षा दल बैठक अनुसंधान कार्यों के मूल्यांकन एवं समीक्षा हेतु एक अतिमहत्वपूर्ण बैठक होती है। इस उच्च स्तरीय समीक्षा दल के सदस्य अतिअनुभवी पूर्व कुलपति एवं पूर्व निदेशक व अधिष्ठाता स्तर के अधिकारी होते है। समीक्षा दल की बैठक में विगत पांच वर्षों के अनुसंधान कार्यों की समीक्षा की जाती है तथा आने वाले समय में अनुसंधान कार्य को दिशा प्रदान की जाती है।

डाॅ. कर्नाटक ने बताया कि इस समीक्षा बैठक में कुल पांच परियोजनाओं की समीक्षा की जानी है जिनमें से महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उदयपुर में भी मृदा आधारित दो परियोजना संचालित की जा रही है। डाॅ. कर्नाटक ने बताया कि स्वस्थ्य मृदा कृषि का आधार है। किसी भी फसल का वांछित उत्पादन लेने के लिए मृदा की भौतिक दशा एवं पोषक तत्वों का संतुलन सर्वाेत्तम भूमिका निभाता है। समीक्षा दल के अध्यक्ष डाॅ. पी. के. शर्मा, पूर्व कुलपति, शेरे-ए-कश्मीर कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, जम्मू ने कहा कि मृदा की गुणवत्ता बनाये रखने के लिए विभिन्न फसलों में मृदा जांच के आधार पर पोषक तत्वों का उपयोग का निर्धारण करना महत्ती आवश्यकता है। कृषि को लाभकारी स्वरूप प्रदान करने हेतु खाद्य सामग्री की मांग एवं आपूर्ति में समन्वय होना अतिआवश्यक है। जिसके अभाव में वस्तुओं के मूल्यों में अत्यधिक उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है। 

डाॅ. अरविन्द वर्मा, अनुसंधान निदेशक ने समीक्षा दल के सदस्यों एवं पश्चिमी क्षेत्र के विभिन्न अनुसंधान केन्द्रों से पधारे हुए परियोजना प्रभारियों एवं वैज्ञानिकों का स्वागत करते हुए कहा कि जैव विविधता, दीर्घकालीन उर्वरक परीक्षण परियोजना जो कि विगत 27 वर्षों से लगातार मक्का एवं गेहूँ की फसल चक्र में पोषक तत्वों के प्रयोग पर परीक्षण कर रही है तथा जिसकी अनुशंसाओं से उदयपुर जिले के किसान जनजाति क्षेत्रों में कृषक उपज में वृद्धि से लाभान्वित हो रहे है। डाॅ. ए. एन. गणेश मूर्ति, पूर्व अधिष्ठााता एवं पूर्व प्रमुख, मृदा विज्ञान प्रभाग, आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरू ने पंचवर्षीय समीक्षा दल बैठक की तकनीकी जानकारियां दी और कहा कि परियोजनाओं में किये गये अनुसंधान कार्यों का अवलोकन कर कृषक हित में अनुशंसायें की जाती है जिससे राष्ट्रीय कृषि विकास को बल मिलता है। समीक्षा दल में डाॅ. आर सान्थी, पूर्व विभागाध्यक्ष (एसएस एंड एसी) और पूर्व निदेशक एनआरएम, टीएनएयू, कोयंबटूर, डाॅ. वी. के. खर्चे, अनुसंधान निदेशक, पीडीकेवी, अकोला, डाॅ. आर एन पडारिया, संयुक्त निदेशक (विस्तार) आईएआरआई, नई दिल्ली एवं डाॅ. आर. एलांचेलियान, प्रमुख वैज्ञानिक, आईसीएआर-आईआईएसएस, भोपाल सदस्यों के रूप में परियोजनाओं की समीक्षा का कार्य किया। इस अवसर पर पांचों परियोजनाओं के परियोजना समन्वयक जिनमें डाॅ. संजय श्रीवास्तव, डाॅ. एस. के. बेहरा, डाॅ. आर. एच. वंजारी, डाॅ. एस. आर. मोहंती एवं डाॅ. ए. के. बिस्वास ने अपनी परियोजनाओं का संक्षिप्त प्रतिवेदन प्रस्तुत किया।कार्यक्रम के दौरान अतिथियों द्वारा मृदा विज्ञान की एक पुस्तक तकनीकी बुलेटिन, तीन फोल्डर का विमोचन किया गया। डाॅ. एस. सी. मीणा, विभागाध्यक्ष एवं परियेाजना प्रभारी ने पधारे हुए अधिकारियों एवं वैज्ञानिकों का धन्यवाद प्रेषित किया। कार्यक्रम का संचालन डाॅ. विशाखा बंसल, आचार्य, सामुदायिक एवं व्यवहारिक विज्ञान महाविद्यालय ने किया।