डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में नव-निर्मित पुस्तकालय का उद्घाटन
एमपीयूएटी के संघटक डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में नवनिर्मित पुस्तकालय का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप-निदेशक (शिक्षा) डॉ. आर.सी. अग्रवाल द्वारा एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक एवं विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों और एमबीएम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजय कुमार शर्मा की गरिमामय उपस्थिति में किया गया ।
दिनांक 06 जुलाई 2024 : एमपीयूएटी के संघटक डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में नवनिर्मित पुस्तकालय का उद्घाटन भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप-निदेशक (शिक्षा) डॉ. आर.सी. अग्रवाल द्वारा एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. अजीत कुमार कर्नाटक एवं विश्वविद्यालय के वरिष्ठ पदाधिकारियों और एमबीएम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अजय कुमार शर्मा की गरिमामय उपस्थिति में किया गया ।
महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ लोकेश गुप्ता ने बताया की महाविद्यालय डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में उच्चतम मापदंडों के अनुकूल विगत 41 वर्षो से शिक्षण, प्रशिक्षण एवं परामर्श प्रदान कर रहा है । महाविद्यालय में परम्परागत शिक्षा को आधुनिक समय के अनुसार उपलब्ध संसाधनों का समुचित प्रयोग कर विद्यार्थियों के ज्ञान को अनवरत उन्नयन किया जाता है । इसी क्रम में भविष्य की जरूरत को देखते हुए महाविद्यालय के पुस्तकालय का नव-निर्माण एवं अद्यतन प्रौद्योगिकी का उपयोग कर विद्यार्थियों को अध्ययन के लिए सुखद एवं आधुनिक सुविधाओं से सुसज्जित वातावरण प्रदान किया गया है । इस पुस्तकालय में तकरीबन 100 विद्यार्थीयों के बैठने की व्यवस्था है । इस पुस्तकालय में पूर्णतया वातानुकूलन के साथ वाई-फाई इन्टरनेट की सुविधा उपलब्ध कराई गई है ताकि विद्यार्थी अपने लैपटॉप, टेबलेट या मोबाइल इत्यादि पर ई-बुक्स, जर्नल, शोध-पत्र इत्यादि पढ़ सकें । पुस्तकालय के एक भाग में पुस्तक पढने के लिए आरामदायक टेबल कुर्सी की व्यवस्था है तो एक भाग में समाचार-पत्र, पत्रिकाओं के पढनें की सुविधा है । डिजिटल पुस्तकालय को बढ़ावा देने के लिए एक भाग में ई-बुक्स, जर्नल, शोध-पत्र इत्यादि पढने के लिए हाई स्पीड इन्टरनेट की सुविधा के साथ आधुनिक कंप्यूटर भी उपलब्ध कराए गए है । इस पुस्तकालय में पाठ्यक्रम से सम्बन्धित विश्व स्तरीय पुस्तको के साथ ई-बुक्स, राष्ट्रीय एवं अंतराष्ट्रीय जर्नल,विद्यार्थियों के ज्ञानवर्धन एवं सर्वांगीण विकास हेतू गणमान्य लेखको की अन्य उच्च स्तरीय लगभग 20000 पुस्तकों की उपलब्धता कराई गई है ।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली के उप-निदेशक (शिक्षा) डॉ. आर.सी. अग्रवाल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की एक सुखद एवं सम्मानपूर्ण जीवन के लिए सभी को अनवरत ज्ञान-उन्नयन करते रहना चाहिए और इसके लिए पुस्तक सबसे उत्तम और सर्वश्रेष्ठ साधन है । पुस्तकालय की उपादेयता सिर्फ विद्यार्थी जीवन तक नहीं बल्कि जीवन पर्यन्त रहती है और विकास के इच्छुक को पुस्तकालय अपने दैनिक जीवन में सम्मिलित करना चाहिए । आज के समय के अनुरूप पुस्तकालय में भी काफी बदलाव आया है लेकिन उपादेयता पहले से भी ज्यादा हो गई है । उन्होंने कहा की डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय में पुस्तकालय का नव निर्माण एवं अद्यतन प्रौद्योगिकी का क्रियान्वयन सराहनीय एवं अनुकरणीय है । इस अवसर पर उन्होंने अद्यतन गुणवत्ता आश्वासन प्रयोगशाला में विभिन्न आधुनिक उपकरणों का भी अवलोकन किया और विद्यार्थियों से सीधा संवाद कर विभिन्न प्रक्रमों के बारे में जानकारी प्राप्त की । साथ ही उन्होंने महाविद्यालय की विभिन्न इकाईयों का निरीक्षण भी किया और विद्यार्थियों के तकनीकी कौशल का क्रियान्वयन देख कर हर्ष व्यक्त किया । इस अवसर पर उन्होंने रागी से पास्ता प्रसंस्करण, बिलौना विधि से घी प्रसंस्करण एवं मिलेट उत्पादों के प्रसंस्करण का विस्तृत समीक्षात्मक निरीक्षण किया और विद्यार्थियों के साथ प्रसंस्करण की तकनीकी बारीकियों के बारे में जाना । इस अवसर पर उन्होंने लैब मैन्युअल का विमोचन भी किया । साथ ही उन्होंने महाविद्यालय प्रांगण में वृक्षारोपण भी किया ।
एमपीयुएटी के कुलपति माननीय डॉ अजीत कुमार कर्नाटक ने कहा की विद्यार्थियो के ज्ञान को अनवरत परिष्कृत करना किसी भी शिक्षण संस्थान की प्राथमिक जिम्मेदारी है और ज्ञान परिष्करण के लिए पुस्तकों से बड़ा कोई साधन नहीं है । डेयरी एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय वर्षों से विद्यार्थियों को प्रशिक्षित कर प्रविधि-तंत्री में रूपान्तर करके देश सेवा के गौरव पथ पर निरंतर अग्रेषित है । सतत उच्च स्तरीय प्रशिक्षण प्रदान करने की निरन्तरता में महाविद्यालय द्वारा हाई-टेक प्रयोगशाला के बाद नवाचारो से युक्त अति आधुनिक पुस्तकालय का नव-निर्माण किया गया है जो की एक मील का पत्थर साबित होगा और निश्चित तौर पर विद्यार्थी इससे अधिकाधिक लाभान्वित होंगें । उन्होंने कहा की इतिहास गवाह है की जिसने अपने विद्यार्थी जीवन में पुस्तको को अपना मित्र मानकर पुस्तकालय का भरपूर उपयोग किया उसने अपने जीवन में उत्तरोत्तर तरक्की करी है अतएव विद्यार्थियों को चाहिए की अपनी मित्रता पुस्तको से बढ़ाये और जीवन में श्रेष्ठता प्राप्त करे ।